बहन की चुदाई से जंगल में मंगल

(Bahen Ki Chudai Se Jungle Me Mangal)

हमारा समर वॅकेशन चल रहा था, छुट्टी के शुरु होते ही हम सब दोस्तों ने जंगल में पिकनिक का प्लान बनाया।
जिस दिन हम निकलने वाले थे, ठीक उसी दिन मेरे मामा की लड़की स्वीटी हमारे घर आ गयी। जैसे ही उसे पता चला कि मैं पिकनिक जाने वाला हूँ, वो भी साथ चलने की जिद करने लगी। मैंने बहुत मना किया, कहा- मेरे साथ सभी लड़के हैं, कोई लड़की नहीं है.
पर वो नहीं मानी।
ऊपर से मम्मी पप्पा ने भी उसी का साथ दिया तो मजबूरन मुझे उसे अपने साथ ले जाने के लिये हामी भरनी पड़ी।
लड़की हो चाहे औरत हो, बाहर जाते वक्त तैयारी करने में कितना समय लेती हैं ये तो आप सब जानते ही हो।
स्वीटी ने भी वही किया, तैयार होने में इतना समय लगाया कि जिस ट्रेन से हम लोग जाने वाले थे, वो ट्रेन छुट जाने वाली थी।
तो मैंने अपने दोस्तों को उसी ट्रेन से जाने के लिये कहा कि हम दोनों बाद में अगली ट्रेन से आ जायेंगे.
मेरे कहने पर वो लोग उसी ट्रेन से निकल गये।
दूसरी गाड़ी काफी समय बाद थी, मैंने और स्वीटी ने दूसरी गाड़ी पकड़ ली पर हुआ ये कि जो ट्रेन हमें मिली, वो रात को मंजिल पर पहुँची।
मेरे बाकी दोस्तों का ग्रुप जो आगे निकल चुका था, वो गहरे जंगल में पहुँच गया था जिसकी वजह से उनसे फोन पर सम्पर्क नहीं हो पा रहा था।
अब हम दोनों भाई बहन को या तो स्टेशन पर सुबह तक रुकना पड़ता या रातों रात उन्हें खोजना पड़ता।
हमने जंगल में जाने का फैसला कर लिया। काफी देर तक हम उन्हें खोजते रहे पर वे लोग नहीं मिले। आखिरकार थक हार कर हमने रात भर जहां थे, वहीं विश्राम करने का फैसला कर लिया।
मैंने जंगल में से कुछ लकड़ियाँ इकट्ठी करके आग सुलगा ली, कुछ खाना हम साथ लाये थे, उसी आग पर हम लोगों ने खाना गर्म किया और खाया.
जब खाना-वाना हो गया तो हम लोग आग के पास बैठ गपशप करने लगे।
कुछ देर बात करने के बाद स्वीटी को पेशाब का प्रेशर बना, जिसके चलते उसने अपनी सलवार उतार दी। उसका कुर्ता कमर तक दोनों तरफ से कटा हुआ था, जिसके चलते उसकी पैंटी उन कट से दिख रही थी। ऐसा लग रहा था मानो मेरे सामने कोई कॅबरे डान्सर खड़ी हो, और कैबरे डांसर की तो फिर भी पैंटी नहीं दिखती है, मुझे तो मेरी बहन की नंगी टाँगे और पैंटी दिख रही थी.
“कैसे कपड़े पहन रखे हैं तुमने स्वीटी? और ऊपर से ये सलवार भी उतार दी? शरम भी नहीं आ रही तुझे? नाराज होकर मैंने कहा।
“अरे भाई, तेरे सामने क्या शरमाना? तू और मैं बचपन से बिना कपड़ों के साथ रहे हुए हैं.” उसने बेशर्मी से मेरी बात का जवाब दिया।
“लेकिन अब हम छोटे बच्चे नहीं रहे!” मैंने टोका।
“तो क्या हुआ?” मेरी बहन ने लापरवाही से जवाब दिया.
“तो फिर ये बाकी कपड़े भी उतार दे ना, इन्हें ही क्यों पहन रखा है?”
“हाय भाई… तुम कहो तो मैं इन्हें भी उतार दूँ।” हंसती हुई वो बोली और झाड़ियों के पीछे पेशाब करने के लिये बैठ गयी।
जब वो वापस आयी तो मैंने उसे स्लिपिंग बॅग देते हुये कहा- यार स्वीटी, हमारे पास एक ही स्लीपिंग बैग है, हमें बारी बारी सोना और जागना पड़ेगा।
“तुम सो जाओ, मैं थोड़ी देर जागती हूँ.” कह कर वो आग के पास बैठ गयी।
उससे बहस करने का कोई मतलब नहीं था, मैं बॅग लेकर उसमें सो गया।
मुश्किल से बीस मिनट ही गुजरे होंगे कि वो मेरे पास आयी और कहने लगी- मुझे भी सोना है।
मैं हंसा और कहा- ठीक है, तू सो जा, मैं जागता हूँ।
“नहीं, क्या जरूरत है तुझे जागने की? हम दोनों एक साथ सो जाते हैं इस बैग में।”
“लेकिन इसमें जगह नहीं होगी हम दोनों के लिये।”
“हो जायेगी!” कहते हुये वो जबरदस्ती मेरे अंदर रहते स्लिपिंग बैग में घुसने की कोशिश करने लगी।
जैसे तैसे वो अंदर तो घुस गयी, पर जबरस्ती कम जगह में अंदर नीचे की तरफ खिसकते हुये उसका कुर्ता गले तक ऊपर खिसक गया।
“उफ ये कुर्ता भी ना…” गले में जमा हुये कुर्ते से परेशान होती हुयी वो बोली।
“मैंने कहा था तुझे?” मैंने हंसते हुये कहा।
“पता है!” कहते हुये उसने कुर्ता उतार दिया।
“पागल हो तुम!” मैंने कहा।
“पागल मैं नहीं तुम हो, एक लड़की जिसके कपड़े गलती से उतर गये हों, उस पर हंसते नहीं।”
तो क्या करते हैं? मैंने मजाक उड़ाते हुये पूछा।
“ये करते हैं!” कह कर उसने अपने हाथों से मेरी टी शर्ट उतार दी।
“नीचे थ्री फोर्थ भी है!” मैंने फिर उसका मजाक उड़ाया।
“हां तो उतार दो ना!” कहते हुये उसने खुद से मेरी थ्री फोर्थ उतार दी।
अब हम दोनों भी सिर्फ इनरवीयर में थे। हमारे अधनंगे बदन एक दूसरे से तंग जगह की वजह से काफी हद तक चिपके हुये थे। दोनों का मुख एक दूसरे की तरफ था। इसी अवस्था में हम लोग यहां वहां की बातें करने लगे।
लेकिन चूँकि बदन सटे हुये थे, कुछ ही पलों में मेरा लंड तन कर उसकी जांघों पर ठोकरें मारने लगा।
“तुम लड़कों की ना यही प्राब्लम होती है।”
“क्या हुआ?”
“लड़की को देखते ही मन में गंदे खयाल आने लगते हैं।”
“क्या मतलब?”
“तुम्हारे जज्बात मेरी जांघों से टकरा रहे हैं, ये बात है।”
“होता है.” मैंने हल्के से हंसते हुये कहा।
“क्या होता है? कम से कम ये तो ध्यान रहना चाहिये ना के, जिसके लिये बुरे खयाल आ रहे हैं, वो अपनी रिश्तेदार है।”
“अब उसे क्या पता कि तुम रिश्तेदार हो, उसके लिये तो सब एक समान।”
“गंदे कहीं के!”
“अच्छा मैं गंदा और तुम क्या?”
“मैंने क्या किया?”
“तू भी अंदर से उतावली हो गयी है।”
“नहीं, हम लड़कियाँ तुम लड़कों जैसी नहीं होती।”
“हम लड़कों के जज्बात बाहर नजर आते हैं, क्योंकि हमारा तन जाता है। तुम लड़कियाँ गीली होती हो, पर बाहर नजर नहीं आता।”
“ऐसा कुछ नहीं होता।”
“नहीं होता तो तुम गीली क्यों हो गयी हो?
“हट, कुछ भी बोल रहे हो, कुछ गीली वीली नहीं हुयी हूँ मै!”
“तेरा गीलापन मेरे जांघों को महसूस हो रहा है।”
“चुप करो, कुछ भी बोलते हो!” कह कर उसने हंसते हुये मेरे मुँह पर हाथ रख दिया।
मैंने उसके हाथ के ऊपर अपना हाथ रखा, और आहिस्ते से बड़े प्यार से उस हाथ को चूमा।
“कुछ ऐसी वैसी हरकत मत करो भाई।”
“क्यों क्या हुआ बहना?”
“मैं कुंवारी हूँ।”
“मैं कहां शादीशुदा हूँ?”
“हाँ, तो जिसके साथ शादी करोगे उसके साथ ये सब कर लेना।”
“तेरे साथ करुंगा।”
“तुझे पता है, हमारी शादी नहीं हो सकती। हम आपस में भाई बहन लगते हैं.”
“फिर इस अगन को ठण्डा कैसे किया जाये?”
“जा के मुठ मार के आ जाओ!” वो जोर से हंसते हुये बोली।
“तुम मार दो ना अपने हाथों से?”
“मुझे क्या जरूरत पड़ी हैं?
“मैं भी मदद करुंगा ना तुम्हारी।”
“तुम मेरी क्या मदद करोगे?”
“मैं तुम्हारी आग को अपने हाथ से ठण्डा कर दूँगा।”
“मुझे जरूरत नहीं हैं किसी के हाथ की।”
“अच्छा मुझे तो जरूरत है!” कहते हुये मैंने उसका एक हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया।
“छोड़ो, छी… मुझे नहीं करना है!” कहते हुए वो लड़कियों वाले नखरे दिखाने लगी।
मैंने जबरदस्ती अंडरवीयर नीचे कर के अपना लंड उसके हाथ में थमाया। वो अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगी पर मैंने ऐसा होने नहीं दिया। अपने हाथ से उसके हाथ की मुट्ठी बना कर मैं लंड को आगे पीछे करने लगा।
“मुझे नहीं लगा था कि तुम मेरे भाई होकर इस तरह जबरदस्ती करोगे।”
“तुम खुद से करोगी तो मुझे जबरदस्ती करने की क्या पड़ेगी।”
“हाथ निकालो, प्यार का काम प्यार से किया जाता हैं, जबरदस्ती से नहीं।”
मुझे लगा वो मेरी मुठ मारने के लिए मान गयी, मैंने अपना हाथ हटा दिया लेकिन मेरा हाथ निकलते ही…
“सोओ अब अकेले ही!” कह कर वो स्लीपिंग बैग से बाहर निकलने लगी।
मैंने फुर्ती से उसकी पैन्टी पकड़ ली, पर फिर भी वो बाहर निकल गयी लेकिन उसकी पैंटी सरक कर उसकी टांगों से निकलती चली गई, वो बैग से बाहर निकल गई लेकिन उसकी पैंटी मेरे हाथ में थी.
अब मेरी बहन सिर्फ ब्रा पहने अपने दोनों हाथों से अपनी चूत छुपाये खड़ी थी।
“आ जाओ अंदर!” मैंने कहा।
“नहीं, मैं बाहर ही सोऊँगी।”
“ऐसी अधनंगी?”
“हां, तो? यहां कौन देख रहा है?”
“अब जब अधनंगी को कोई नहीं देखेगा तो पूरी नंगी को कौन देखेगा?” कहते हुये मैं उठ कर खडा हुआ और जबरदस्ती उसकी ब्रा भी उतार दी।
“मैंने तुमसे ज्यादा गंदा लड़का नहीं देखा।”
“मैंने भी तुझसे ज्यादा नखरेल लड़की नहीं देखी।”
हम एक दूसरे को चिढ़ा ही रहे थे कि तभी जोर से सरसराहट हुयी। वो डर गयी, बोली- कैसी आवाज है ये?
“तुझे नंगी देख कर कोई जंगली जानवर जोश में आ गया होगा। अब वो तुझे नहीं छोड़ेगा!”
“मजाक मत करो, सच में कुछ है।” कहते हुये वो मेरे पास आ गई।
“कोई जंगली जानवर होगा जो शिकार के लिये आया होहां, तुम चुपचाप बिना आवाज किये सो जाओ तो वो चला जायेगा।”
जंगली जानवर के डर से वो चुपचाप बैग के अंदर आकर लेट गयी।
“तुम्हारे उसका कुछ करो ना, बार बार जांघों में टच कर रहा है।”
“तुम्हारी वजह से ही हो रहा है।”
“मैंने क्या कहा है उसे?”
“तुम्हारे नशीले नंगे बदन ने कहा है!” कहते हुये मैं अपनी ममेरी बहन के नंगे बदन से लिपट गया।
“तुम फिर गंदी हरकत करने लगे?”
लेकिन इस बार वो ना पीछे हटी, ना इन्कार किया।
मैंने अपनी अंडरवियर निकाल कर बाहर फेंक दिया और उसकी जांघों में अपनी जांघें घुसा दी। फिर एक हाथ से उसके गालों को सहलाते हुये उसे किस करने लगा।
वो भी अब मेरा साथ देती हुयी अपनी जांघों को मेरी जांघों पर रगड़ने लगी, अपने एक हाथ से वो मेरी पीठ को सहलाने लगी।
काफी देर तक हम दोनों भाई बहन एक दूसरे के नंगे बदन से खेलते रहे।
“बस अब खत्म कर दो!” कहते हुये उसने मेरे लंड पर अपनी चूत चिपका दी।
मैंने भी बिना वक्त गंवाये उसकी चूत में लंड घुसेड़ कर उसे चोदना शुरु किया। जितने नखरे वो पहले कर रही थी अब उससे कहीं ज्यादा मजे से मेरी बहन अपनी चूत चुदवा रही थी।
एक के बाद एक धक्के लगते गये, तब तक… जब तक… हम दोनों भाई बहन की चुदाई के बाद झड़ नहीं गये।
उस रात हमने कई बार सेक्स किया, जब दोनों बुरी तरह से थक गये तब एक दूसरे की आगोश में सो गये।
सुबह उठ कर हमने दोस्तों को खोजा, मेरे दोस्त मिले, तब हमने मिल के जंगल में पिकनिक का आनन्द लिया।
लेकिन मैं कह सकता हूँ कि जंगल की पिकनिक से ज्यादा आनन्द तो मुझे अपनी बहन की चुत चुदाई करने में आया.
और हां… वो मेरी बहन जो कहती थी कि ‘मैं कुंवारी हूँ’ मुझे वो कहीं से कुंवारी नहीं लगी, उसी चूत से कोई खून नहीं निकला, कोई ख़ास दर्द नहीं हुआ उसे… बड़े मजे से उसने अपनी चुत चुदाई.

भाभी की चुची देख मेरी घंटी बज गई

This summary is not available. Please click here to view the post.

बहन के साथ चोर पुलिस का खेल

(Behan Ke Sath Chor Police Ka Khel)

दोस्तो, मेरा नाम है अंकित शर्मा, मैं कुरुक्षेत्र हरियाणा में रहता हूँ. अभी मेरी आयु 24 वर्ष की है. मैं गोरा लंबा, कद 5 फीट 8 इंच है. दिखने में स्मार्ट हूँ.
मुझे अन्तर्वासना पर भी बहन की चुदाई की कहानियाँ पढ़ने में बहुत मजा आता है.
अब मैं आपको अपनी जिन्दगी की सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ. आप सब इस कहानी कि घटना को ऐसे सोचें कि यह सब आपके साथ हो रहा है तब आपको मेरी कहानी पढ़ने में पूरा मजा आयेगा.
यह बात आज से करीब चार साल पहले की है जब मैं 20 वर्ष का था और गर्मियों में मई के महीने में अपने परिवार यानि मम्मी पापा के साथ अपनी बुआ जी के घर अम्बाला गया था. मेरी बुआ जी की लड़की अंजलि है. वह मुझसे डेढ़ साल छोटी है. उस वक्त उसकी उम्र साढ़े अठारह वर्ष की होगी. हम दोनों भाई बहन के बीच की अच्छी दोस्ती थी.
एक दिन की बात है कि घर के सब बड़े लोग इकट्ठे बाजार गये थे और हम दोनों घर में ही रह गये थे क्योंकि बाहर बहुत तेज धूप थी और बड़े लोगों के साथ बाजार जाने का हमारी बिल्कुल इच्छा नहीं थी. इसलिये हम दोनों ने ही उनके साथ जाने से इन्कार कर दिया कि इतनी गर्मी में तेज धूप में हम बाहर नहीं जा रहे हैं.
चलो, दोपहर के बारह बजे वे लोग बाजार के लिए घर से चले गये और मैं अपनी बुआ की बेटी अंजलि के साथ घर में अकेला था. मेरी फुफेरी बहन गोरी चिट्टी, स्मार्ट है, उसकी फीगर 32-26-32 के करीब थी, उसकी हाईट करीब 5 फीट तीन इंच होगी.
हम दोनों घर में अकेले बैठे बातें कर थे. मैंने शोर्ट(निक्कर) और टीशर्ट पहनी हुयी थी और मेरी कजन अंजलि ने घुटनों तक की स्कर्ट पहनी हुई थी.
बातों बातों में उसने मुझसे पूछा- भाई चाय पीयोगे क्या?
तो मैंने कह दिया- अगर तेरी इच्छा है चाय की तो मैं भी पी लूंगा… बना ले!
तो अंजलि चाय बनाने के लिए रसोई में चली गई.
और मैं कमरे में बैठा टी वी देख रहा था. जब अंजलि उठ कर रसोई में गई तो उठते हुए उसकी स्कर्ट के नीचे से मुझे उसकी गोरी जांघें दिख गई. मैं काफी पहले से सेक्स के बारे में जानता था और मुठ मारना भी शुरु कर चुका था. इसलिये अंजलि की नंगी टाँगें और गोरी जांघें देख कर मेरे दिमाग में उसके साथ कुछ सेक्सी सा करने का मन करने लगा था.
पहले तो मैंने टी वी पर कोई हिन्दी या अंग्रेजी सेक्सी फिल्म सर्च करने की कोशिश की लेकिन उस समय पर कोई भी ऎसी सेक्सी फिल्म नहीं आ रही थी, दिन के समय एडल्ट मूवीज आती भी नहीं! उनके केबल टी वी पर फैशन टीवी भी नहीं लगता था. लेकिन मेरे मन में कामुकता घर कर चुकी थी, मैं सोचने लगा कि क्या करूँ?
तभी मैं उठ कर अपनी बहन के पास रसोई में चला गया और उस के पीछे जाकर खड़ा हो गया.
अंजलि ने पीछे मुड़ कर देखा तो वो बोली- क्या हुआ भाई साब, रसोई में क्यों आ गए, यहाँ बहुत गर्मी है.
मैं बोला- यार अंजलि, कुछ नहीं… बस अंदर अकेले बैठे हुये बोर हो रहा था तो तेरे पास आ गया.
और मेरी नजार अंजलि की स्कर्ट के नीचे से दिख रही उसकी नंगी गोरी चिट्टी चिकनी टांगों पर ही थी.
अंजलि- भाई, तुम कमरे में जाओ, मैं बस चाय लेकर आ ही रही हूँ.
मैं- हाँ हाँ ठीक है!
और मैं रसोई में से बाहर आ गया.
मेरा लंड अपनी बहन की चूत के बारे में सोच सोच कर पूरा खड़ा हो गया था तो मैंने सोचा कि बाथरूम में जाकर एक बार मुट्ठ ही मार लेता हूँ!
और मैंने बाथरूम में जाकर अपनी सेक्सी बहन को ख्यालों में नंगी करके उसके नाम की मुट्ठ मारी. आह… बहन के नाम की मुट्ठ मारने में ही मुझे इतना ज्यादा मजा आया कि पूछो मत! इतना मजा मुझे कभी नहीं आया था.
इसी दौरान अंजलि चाय लेकर कमरे में आ गई पर मैं तो उस समय बाथरूम में अंजलि की चूत चुदाई का सोच कर मुट्ठ मार रहा था. जब अंजलि ने मुझे कमरे से गायब पाया तो उसने मुझे आवाज लगाई- अंकित भाई कहाँ हो? आ जाओ, चाय ठण्डी हो जायेगी.
मैं- अंजलि, मैं बाथरूम में हूँ, आ रहा हूँ अभी!
और मैं फटाफट से अपने हाथ धोकर बाथरूम से बाहर निकल कर कमरे में आया तो अंजलि मुझसे पूछने लगी- भाई आप बाथरूम में क्या करने गए थे? आप तो मोर्निंग में नहा भी चुके थे.
तो मैंने कहा- यार मैं ज़रा हाथ पैर धोने के लिए गया था, गर्मी लग रही थी ना!
अब हम दोनों भाई बहन बिस्तर पर बैठ कर टीवी देखने लगे और साथ साथ चाय भी पी रहे थे. मैं बीच बीच में चोर नजर से उसकी ओर देख रहा था और मेरी निगाहें उसकी गोरी टांगों और जांघों पर थी, उसकी स्कर्ट ज़रा सी ऊपर को सरक गई थी बिस्तर पर बैठने से तो उसकी थोड़ी थोड़ी जांघें दिख रही थी!
अब मैं उसकी बुर की कल्पना करने लगा कि उसकी बुर पर अब तो झांटें आ गई होंगी.
और अब मैं उसकी चुची के बारे में सोचने लगा कि ना जाने मेरी बहन की चुची नर्म होंगी या सख्त… मुझे लगा कि उसकी चुची सख्त ही होंगी क्योंकि वो रोज सुबह शाम हल्का फुल्का योगा और कसरत भी करती है.
मैं कल्पना करने लगा कि उसके निप्पल कैसे होंगे? शायद गुलाबी होंगे? क्योंकि वो बहुत गोरी है! या शायद भूरे हों!
मैं बस अपनी बहन की बुर और चुची के बारे सोचते हुए चाय पीता रहा और हम दोनों ने चाय खत्म कर ली.
तब मैंने कुछ शरारत करने का सोच कर उससे कहा- यार अंजलि, चल कुछ खेल खेलते हैं!
तो वह हंसने लगी, बोली- क्या खेल खेलते हैं? अब हम बच्चे थोड़े ना रह गये है जो खेल खेलेंगे?
मैंने कहा- यार हम जब छोटे थे तो कैसे कैसे खेल खेलते थे एक साथ, तुम्हें याद नहीं है क्या? जब मैं यहां आता था या तू हमारे घर आया करती थी, तब हम खूब खेला करते थे. आज मुझे तुझे देख कर उन दिनों की याद आ रही है.
तो अंजलि बोली- हाँ भी, वे दिन तो मुझे भी बहुत याद आते हैं.
तो मैं बोला- तो फिर आज वही बचपन के पुराने दिन याद करते हैं और वही बचपन वाले कुछ खेल खेलते हैं.
वो बोली- पर भाई…
मैं बोला- प्लीज प्लीज प्लीज़!
तो अंजलि पूछने लगी- ठीक है भाई, बोलो कौन सा खेल खेलें?
मैं बोला- यार हम सबसे ज्यादा चोर पुलिस वाला खेल खेलते थे, तो आज भी वही खेल खेलें?
अंजलि बोली- ठीक है भाई, मैं चोरनी बनती हूँ और तुम पुलिस वाला सिपाही!
मैं- ठीक है!
मैंने उसे कहा- तू कोई चीज चोरी कर… फिर मैं तुझे पकडूँगा!
वो बोली- ठीक है भाई!
और मैं कमरे से बाहर चला गया, अंजलि रसोई में चली गई और कुछ चुराने का नाटक करने लगी.
और तभी मैं उसके पीछे रसोई में पुलिसमैन बन कर गाया और उसे पकड़ने के लिए उस पर झपटा. खेल के अनुसार अंजलि मुझसे बचने के लिए वहां से भाग निकलने की कोशिश करने लगी.
लेकिन तो मैंने उसे पीछे से कस कर पकड़ लिया और वह मेरी बांहों से छूट निकलने की कोशिश करने लगी.
पर मैंने अंजलि को पीछे से अपनी दोनों बांहों में कस के जकड़ रखा था, मैं बोला- ऐ चोर लड़की… क्या कर रही थी? बता क्या चुरा रही थी?
अंजलि- जी कुछ नहीं… मैंने कुछ नहीं चुराया यहाँ से!
मैं- मैं पुलिस वाला हूँ, तुम चोरों को मैं अच्छी तरह जानता हूँ, हम पुलिस वालों को चोरों की जुबान खुलवाना आता है.
और मैं अंजलि की तलाशी लेने का नाटक करने लगा और उसके पूरे बदन के कपड़ों के ऊपर से दबा दबा कर देखने लगा.
वो मना करती रही- मैंने कुछ नहीं चुराया है.
मैंने उस की कोई बात नहीं सुनी और मैं उसकी स्कर्ट उतारने की कोशिश करने लगा. पर अंजलि सोच रही थी कि यह सब खेल का ही एक हिस्सा है.
मैंने अंजलि के दोनों हाथ कस कर पकड़ लिए और उसकी स्कर्ट नीचे खिसका कर निकालने लगा.
अंजलि कहती रही- मैंने कुछ नहीं चुराया है.
पर मैंने उसकी स्कर्ट नीचे खींच कर उतार ही दी. अब वह मेरे सामने सिर्फ शर्ट और पैंटी में थी और उसकी नंगी जांघें मुझे पूरी नजर आ रही थी. मेरी नजर उसकी जांघों के जोड़ पर यानि जहां बुर होती है, वहां थी, लेकिन अंजलि की बुर पैंटी से ढकी हुई थी.
अब मेरी नजर अपनी बुर पर टिकी देख कर अंजलि समझ गई कि कुछ तो गड़बड़ है. भाई ने खेल खेल में मेरी स्कर्ट उतार कर मुझे नंगी कर दिया?
वो बोलने लगी- भाई, तुम यह क्या कर रहे हो? खेल में इतना सब कुछ नहीं करते हैं.
तो मैंने अंजलि को कहा- यार ऐसे ही खेलेंगे, ऐसे ही मजा आयेगा. जब तू पुलिस वाली बनेगी तो तू भी मेरे साथ जो चाहे कर लेना.
मेरे ऊपर तो वैसे ही कामुकता चढ़ी हुई थी, मैं तो अपनी बहन को पूरी नंगी करना चाह रहा था.
फिर मैंने उसके दोनों हाथ पकड़ लिए और कहा- मैं तुम्हें चोरी के इल्जाम में गिरफ्तार करता हूँ.
और यह कहते हुए मैंने उसके दोनों हाथ कस कए एक कपड़े से बांध दिये.
अंजलि अब इसे भी खेल ही समझ रही थी.
फिर मैंने उसके बाल पकड़े और उसके पैरों को फैला कर पूछा- बता… कहां छुपा के रखा है चोरी का माल?
ऐसा कहते ही मैंने उसकी चड्डी उतार दी और अब मेरी बहन मेरे सामने नीचे से नंगी हो गयी. मेरी नजर अपनी बहना की बुर पर थी, उसकी बुर पर छोटे छोटे बाल थे, लग रहा था कि वो अपनी झांटों की सफाई करती थी.
तभी अंजलि मुझे कहने लगी- प्लीज भाई, अब मुझे यह खेल नहीं खेलना है.
पर मैं कहाँ मानने वाला था, मैंने कहा- चुप कर चोरनी… एक तो चोरी करती है और ऊपर से पुलिस से जुबान लड़ाती है?
और मैं उसकी दोनों टाँगों को फैला कर के अपना चेहरा उसकी जांघों के बीच ले जा कर उसकी बुर को गौर से देखने लगा.
वाहह.. क्या बुर थी उसकी गुलाबी गुलाबी… बुर के दोनों होंठ आपस में चिपके हुए थे जैसे अभी सील बंद हो!
और मैंने अपनी एक उंगली उसमें डाल दी और बोला- चोरी का माल इसके अन्दर छुपाया है क्या?
और उसकी बुर को मैं अपनी एक उंगली से सहलाने लगा.
और अब मेरी बहन भी मजा लेने लगी पर मुझे दिखाने के लिए शरीफ बन रही थी, मुझे रोक भी रही थी. पर मैंने तो उसे अब बाँधा हुआ था और मैं ऐसा दिखावा कर रहा था कि मैं अब भी खेल ही खेल रहा हूँ.
पर अब तक मैं यह भी समझ चुका था कि वो नाटक कर रही है और उसे इस खेल का पूरा मजा आ रहा है.
तो मैंने उसकी बुर में अपनी एक उंगली डाल दी और जोर जोर से अंदर बाहर करने लगा. उसकी बुर में से थोड़ा थोड़ा पानी निकलने लगा तो मैं समझ गया कि मेरी बहन की बुर पानी चुद रही है, इसकी वासना जाग रही है, यह गर्म होने लगी है.
फिर मैं खड़ा हो गया और अंजलि से पूछा- बोल चोरनी, आराम से सच सच बता दे कि चोरी का माल कहाँ छुपाया है तूने? देख ले, मैं बहुत गुस्से वाला हूँ.
अंजलि अब मुझे कामुक नजरों से देखने लगी और बोली- मैंने कुछ नहीं चुराया सर!
मैंने कहा- सारे चोर ऐसे ही बोलते हैं.
अब मैं उसकी शर्ट उतारने की कोशिश करने लगा. पर उसके दोनों हाथ बंधे हुए थे इसलिये शर्ट पूरी नहीं उतार पाया लेकिन उसकी शर्ट उसके बदन से निकाल के उसकी बांहों में कर दी मैंने.
अब मेरी आँखों के सामने मेरी बहन की नंगी चुची थी छोटी छोटी सी… उनके गुलाबी रंग के निप्पल भी अभी छोटे थे.
मैंने अपने दोनों हाथों से एक एक चुची को पकड़ कर दबाया और मुझे बहुत मजा आया. जब मुझ से रुका ना गया तो मैंने उसके एक निप्पल को अपने मुंह में ले लिया और मेरी बहन अंजलि सिसकारियाँ भरने लगी, उसके निप्पल को चूसना उसे भी बहुत अच्छा लग रहा था.
अब मैं अपने एक हाथ से उसके एक निप्पल को पकड़ कर खींच रहा था और दूसरे को जोर जोर से चूस रहा था. वाह… क्या मजा आ रहा था… एक अजीब सा स्वाद था. वो स्वाद मुझे आज भी याद है.
अब वो आआः आआआ आह्ह्ह करने लगी, अपनी छाती मेरे चेहरे पर दबाने लगी.
अब मैं इस खेल को चुदाई में बदलने के लिए तैयार था क्योंकि अब मेरी प्यारी बहन की बुर मेरा लंड मांग रही थी और मुझे उसकी वासना की संतुष्टि करनी थी.
मैंने तभी उसे पूछा- अंजलि, मजा आ रहा है ना?
वो मेरी बात सुन कर शरमा गयी और कुछ नहीं बोली, उसके चेहरे की मुस्कान सब कुछ बयाँ कर रही थी.
अब तो मुझे हरी झंडी मिल गयी, मैंने तुरंत उसके आठ खोले, उसकी शर्ट उतारी और उसे गले से लगाया. अब मैंने उसके होंठों का चुम्बन लिया, उसे होंठों पर जीभ फेरी और उसके एक होंठ को चूसने लगा.
मेरी बहन अंजलि ने अपने दोनों हाथ मेरी कमर पर रख लिए और चुम्बन में मेरा सहयोग करने लगी.
कुछ देर बाद मैंने अपनी शोर्ट को नीचे खिसका कर अपना लंड बाहर निकाला और अपनी फुफेरी बहन के हाथ में थमा दिया. वह बड़े ध्यान से मेरे लंड को देख रही थी. शायद उसें पहली बार लंड देखा था…
मैंने उसे लंड पर हाथ आगे पीछे करने को कहा तो वो वैसे ही करने लगी.
तभी मैंने उससे पूछा- यार अंजलि. कैसा लग रहा है.
उसने फिर से मुस्कुरा कर अपना चेहरा नीचे झुका लिया और मेरी छाती पर सर टिका लिया.
मैंने उससे पूछा- क्या तूने कभी सेक्स किया है?
और वह फिर मेरी तरफ देख कर हंसने लगी.
मुझे कुछ समझ नहीं आया कि अंजलि पहले चुद चुकी है या नहीं!
अब मैंने देर करना उचित नहीं समझा और मैंने बिना देर किये उसे कमरे में लाकर बेड के किनारे बिठा कर लिटा दिया, इससे उसका सिर, पीठ और चूतड़ बेड पे थे लेकिन टांगें नीचे लटक रही थी, मैंने उसकी टाँगें उठाई और अपना लंड अंजलि की चूत पर रख कर अंदर को धकेला तो मेरा लंड मेरी बहन की चूत में रगड़ता हुआ घुस गया और उसके मुख से निकला- उम्म्ह… अहह… हय… याह…
वो सीत्कारें भरने लगी, मुझे भी बहुत मजा आ रहा था, मैं उसे धीरे धीरे चोदने लगा, वो भी अपने चूतड़ थोड़े थोड़े हिला कर मेरा साथ देने लगी. तब मैं अपनी बहन की चुत चुदाई तेज तेज करने लगा. और वो आनन्द से चिल्लाने लगी- असाह्ह आआह आह्ह ह्ह स्सशआ आह्ह्ह… भाई… आह!
दस मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ने ही वाला था तो मैंने उसे बताये बिना अपना लंड अपनी बहन की बुर से बाहर निकाल कर उसके पेट पर अपना माल छोड़ दिया. मेरे लंड से निकली गर्म पिचकारी ने उसके सारे पेट और नाभि को माल से भर दिया.
मैं हैरान था कि मेरी बहना मुझसे चुदाने के बाद भी हंस रही थी. मैंने उससे पूछा- मेरी बहन, भाई से चुदाई करवा के तुझे मजा आया?
और उसने अब सर हाँ में हिला कर जवाब दिया.
मैं खुश हो गया कि मेरी बहन को मेरे लंड से मजा मिला है.
अपनी बुआ की बेटी यानी फुफेरी बहन की वो चुदाई मुझे आज तक भली भान्ति याद है.

बारिश में मामी की चूत चुदाई

(Barish Me Mami Ki Chut Chudai)

मेरा नाम पार्थ है। मैं 21 साल का हूँ। मैं अंतर्वासना का नियमित पाठक हूँ। यहाँ पर कोई कहानी सच्ची, तो कोई झूठी लगती हैं, पर मजा आता है।
आज मैं आप लोगों को अपने पहले चुदाई के अनुभव के बारे में बताने जा रहा हूँ, अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली कहानी है। कोई गलती हो तो माफ़ करना।
पहले अपने बारे में थोड़ा बता दूँ। मैं एक आम लड़का हूँ। मैं गुजरात में रहता हूँ, बीसीए का छात्र हूँ, पढ़ाई में अच्छा हूँ, पहले मैं एक पढ़ाकू किस्म का लड़का था लेकिन कॉलेज में आते ही मेरी दोस्ती कुछ बुरे लड़कों के साथ हो गई, जो हर लड़की को बुरी नज़र से देखते थे, उनके साथ रह कर मेरी नज़र भी खराब होती गई, फिर मैं भी हर लड़की को बुरी नज़र से देखने लगा। मेरी नज़र हमेशा लड़कियों के वक्ष पर ही चली जाती, हर लड़की को चोदने के सपने देखने लगता लेकिन मुट्ठ मार कर ही काम चलाना पड़ता।
तो अब कहानी पर आते हैं, आज से करीब एक साल पहले की बात है, कॉलेज की छुट्टियों में मैं अपने गाँव नाना के घर गया था। सबसे मिलकर हम बहुत खुश थे।
मेरे दो मामा हैं, छोटे मामा और मामी अलग घर में रहते हैं, नाना-नानी के साथ मेरे बड़े मामा-मामी रहते हैं।
छोटी मामी जिनका नाम पायल है, दिखने में बहुत सुन्दर हैं, मैंने उनको कभी बुरी नज़र से नहीं देखा था।
लेकिन एक दिन मैं किसी काम से छोटे मामा के घर गया था, मैंने देखा कि मामी कपड़े धो रही थीं। वो पूरी गीली हो चुकी थीं। जब वो उठी तो उनके शरीर से चिपके हुए कपड़े देखकर मेरे दिल की धड़कनें तेज़ हो गईं। पहली बार मैंने मामी के शरीर को गौर से देखा और देखता ही रह गया।
‘क्या फिगर थी मामी की! क्या बताऊँ?’
‘क्या हुआ पार्थ? कुछ काम था क्या?’
मामी की आवाज़ सुनकर मेरा ध्यान भंग हुआ- वो… वो… मैं यह देने के लिए आया था। मम्मी ने भेजा है।
कहकर मैंने बॉक्स मामी को दिया।
बॉक्स देने के बहाने पहली बार मैंने उनके नाजुक हाथों को छुआ, छूते ही मुझे मानों करंट सा लगा। मामी के हाथ मक्खन जैसे मुलायम थे।
और फिर मैं घर आ गया लेकिन मेरा दिल अब मामी को चोदने के सपने देख रहा था।
अब मैं रोज मामी के घर जाने लगा और बातें करने लगा। मैं मामी से काफी घुल-मिल गया था। मामी भी मुझसे मजाक करने लगी थीं।
एक दिन में मामी के घर पर था। हम दोनों बातें कर रहे थे कि बारिश शुरु हो गई।
‘अरे यार, इस बारिश को भी अभी गिरना था!’ कहकर मामी खड़ी होकर जाने लगीं।
‘अरे पार्थ चल ना, मेरे साथ छत पर कपड़े लेने के लिए, वरना गीले हो जाएँगे।’
मैं भी मामी की मदद करने के लिए उनके साथ चल दिया।
‘अच्छा है कि तेज बारिश नहीं हो रही। जल्दी से कपड़े लेकर नीचे चले जाते हैं।’
मामी का इतना कहना था कि बारिश ने अपना रुख दिखाना शुरु कर दिया और बारिश तेज़ होती गई।
हम दोनों पूरे भीग चुके थे। मैंने मामी की ओर देखा तो उनके गीले कपड़े के अंदर उनकी ब्रा साफ नज़र आ रही थी।
मैं तो बस मामी की गोलाईयों को देखता ही रहा। वह पूरी गीली थीं और उनके कपड़े उनके शरीर से चिपक गए थे।
मैं तो बस इस नज़ारे को देख रहा था कि मामी बोलीं- क्या देख रहे हो पार्थ?
मैं चौंक गया- क…क…क… कुछ भी… तो नहीं…’
‘जो देखना था वो दिखा?’
‘मा…मी… क…क…क…क्या बोल… रही ह्…ह्…हो?’
‘मुझे सब पता है। पिछले कुछ दिनों से तेरी नज़र ठीक नहीं है मेरे ऊपर! क्या इरादा है?’
‘वो… वो…’
‘अब झूठ बोलने की जरूरत नहीं है। मेरे सीने को, मेरी चूचियों देखते रहते हो ना हर बार! मुझे सब पता है।’
‘मामी… सॉरी मामी… सॉरी…’
‘अच्छा! चोरी पकड़ी गई तो सॉरी बोलने लगा?’
मैं कुछ भी कहने की हालत में नहीं था।
‘इतने अच्छे लगते हैं मेरे दुद्दू?’
मामी की बात सुनकर मुझ में थोड़ी हिम्मत आई, और अपनी चुप्पी तोड़कर बोला- मामी आप तो पूरी की पूरी मुझे बहुत अच्छी लगती हो।
‘क्यों? कोई गर्ल-फ्रेंड नहीं है?’
‘नहीं है मामी।’
‘कभी किसी लड़की को नंगी किया है या देखा है?’
‘नहीं मामी, मैंने सिर्फ़ वीडियो में ही लड़की को नंगी देखा है।’
‘मुझे नंगी देखना चाहेगा?’
‘हाँ मामी!’ मैं ख़ुशी से मामी को अपने गले से लग गया।
‘अरे आराम से… आराम से!’
मैंने मामी के होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उन्हें चूसने लगा।
मैं बता नहीं सकता कि मुझे कितना अच्छा लग रहा था। लगा कि मैं ज़मीन पर नहीं ज़न्नत में हूँ। मुझे यह तक ध्यान नहीं रहा कि मैं और मामी अभी तक छत पर ही हैं। मैं उनके होंठो को चूसता गया और मेरे दोनों हाथ मामी के दोनों दुद्दुओं पर थे।
क्या मुलायम बोबे थे मामी के! मैं उन्हें कपड़ों के ऊपर से ही दबाने लगा। मामी भी मेरे चुम्बन का जवाब देने लगी थीं। मैं जोर-जोर से मामी के उरोजों को मसलने लगा।
मामी को दर्द हो रहा था और मुझसे छूटने की कोशिश भी कर रही थीं मगर कामयाब नहीं हो पाईं।
मैंने मामी को नीचे लिटा दिया और उनके कपड़े उतारने लगा।
थोड़ी ही देर में मामी मेरे सामने बिल्कुल नंगी लेटी थीं। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
उनके दुद्दुओं देखकर मुझसे रहा नहीं गया और मैं उन पर टूट पड़ा। मैंने उनके एक निप्पल को मुँह में लिया और चूसने लगा और काटता भी जाता था।
मामी दर्द के मारे कभी-कभी चिल्ला देतीं पर मैं अपने होंठों से उनके होंठों का रसपान कर रहा था, तो उनकी आवाज़ बाहर नहीं आ पाती।
करीब 5-6 मिनट तक मैं उन्हें ऐसे ही चूमता रहा, फिर मामी ने मुझे धक्का देकर मुझे नीचे लिटा दिया और वो मेरे ऊपर आ गईं।
अब मेरे कपड़ों की बारी थी, मामी को ज़्यादा देर नहीं लगी मुझे नंगा करने में और मैं भी मामी के सामने नंगा होकर लेट गया।
हम दोनों लेटे थे, अगर कोई खड़ा था तो वो था, मेरा लंड जो मामी की चूत में जाने को बेकरार था।
मामी मेरा लंड पकड़कर हिलाने लगी और फिर उसे मुँह में लेकर लॉलीपोप की तरह चूसने लगी।
मेरी हालत खराब हुई ज़ा रही थी, थोड़ी ही देर में मेरे लंड से माल निकलने को हुआ और मैंने मामी के मुँह से अपना लंड निकाल कर उनके सीने के दूधिया उभारों पर रख दिया।
मेरे लंड की पिचकारी उनके दुद्दुओं पर गिरी। मैं निढाल होकर मामी के ऊपर पसर गया।
थोड़ी देर बाद होश आया तो देखा कि हम लोग अभी भी छत पर ही थे।
मैंने उठकर मामी के होंठों पर फिर से अपने होंठ रख दिए और चूसना चालू कर दिया।
थोड़ी देर चुम्मा-चाटी के बाद हम दोनों अलग हुए। बारिश अभी भी चल रही थी, पर कम हो गई थी।
हम दोनों खड़े हुए और कपड़े उठाकर नीचे आ गए।
कमरे में आते ही मैंने मामी को पकड़ा और उन्हें बिस्तर पर लिटा दिया और उनके ऊपर आ गया। मैंने अपना लंड मामी की चूत पर रखा और जोर से धक्का दिया।
मामी की चूत कसी हुई थी तो उनके मुँह से चीख निकल गई पर मैंने अपने होंठों से उसे दबा दिया।
दर्द के मारे मामी की आँखों से आँसू भी निकल आए।
मुझे उनकी इस दशा से पता चल गया कि उनकी बहुत दिनों से चुदाई नहीं हुई है।
मैं धक्के लगाता गया और मामी दर्द सहते हुए चुदती रही।
थोड़ी देर बाद मामी का दर्द कम हुआ और वो मेरा साथ देने लगी और चूतड़ उछाल-उछाल कर चुदाई का मजा लेने लगीं।
कुछ देर चुदाई करने के बाद मेरा माल निकलने को आया तो मैंने अपना लंड बाहर निकाला तो मामी ने उसे मुँह में ले लिया और चूसने लगीं।
‘मामी… मेरा निकलने वाला है।’
‘मेरे मुँह में निकाल दे।’
मैंने अपना सारा माल मामी के मुँह में निकाल दिया। मामी सारा माल चाट गईं।
और मुझ से लिपटकर रोने लगीं- ‘आज बरसों बाद मेरी चूत की प्यास बुझी है, तेरे मामा इसे नहीं मिटा पाते हैं।’
‘एक बात पूछूँ मामी?’
‘पूछ ना!’
‘शादी से पहले कभी चुदी थीं तुम?’
‘हाँ! मेरे कॉलेज के बॉय-फ्रेंड ने मुझे कई बार चोदा था, उसके सभी दोस्तों से भी बारी-बारी चुदवाया था मैंने!’
‘कभी किसी ने गांड मारी है?’
‘हाँ मेरे बॉय-फ्रेंड ने एक बार मारी थी।’
‘मुझ से मरवाओगी?’
‘तुझे जो करना है, वो कर अब तो मैं तेरी ही हूँ।’
फिर मैंने मामी की गांड भी मारी।
मामी ने मुझे अपनी कॉलेज में हुई सारी चुदाई की कहानी बताई कि कैसे वो एक साथ कई लड़कों से चुदी थीं।
‘मामी! तुम्हारी कहानी सुनकर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया।’
‘तो उसकी प्यास बुझा दे।’
और एक बार फ़िर चुदाई का प्रोग्राम शुरु हुआ। फ़िर मैं अपने घर चल गया। जाते-जाते मामी के होंठों को चूमता गया।
रास्ते में मुझे एक दोस्त मिला- अरे पार्थ! एक नई पोर्न वीडियो डाउनलोड की है यार!
मैं मन ही मन हँस दिया और बोला- नहीं चाहिए! मेरे पास उससे भी बेहतर है।
मेरा दोस्त कुछ समझ नहीं पाया और मैं उसको कुछ समझाना भी नहीं चाहता था।
फिर तो जब भी टाईम मिलता मैं मामी के घर जाकर उनकी चुदाई करता।
फ़िर छुट्टियाँ खत्म होने पर मैं अपने परिवार के साथ शहर आ गया।
लेकिन दिल तो अभी भी गाँव में ही अटका हुआ है।

चीन में छोटे लंड से इंडियन चूत की चुदाई

(China Me Chhote Lund Se Indain Chut Ki Chudai)

आप सभी मेरे बारे में जानते तो हैं ही… मगर अपने नये पाठकों के लिए मैं फिर से अपना परिचय दे देती हूँ। मेरा नाम फेहमिना इक़बाल हैं। मैं 26 साल की एक खूबसूरत लड़की हूँ, मेरा फिगर 34-28-34 हैं।
जैसा कि आप सभी जानते है कि मैं दिल्ली में प्राइवेट कंपनी में काम करती हूं, और 2 साल में 3 प्रमोशन का राज मेरी मेरे बॉस के साथ कुछ रंगीन रातें बिताना है। मेरा ठरकी बॉस मुझे चुदाई के वक़्त पूरा संतुष्ट करता है, उसका लन्ड 7 इंच लंबा और 4 इंच मोटा है. हालांकि मैंने इससे भी बड़े लन्ड लिए हैं मगर इसकी चुदाई की ताकत मैं कायल हूँ।
खैर छोड़िये इसे… यह कहानी मेरे बॉस की नहीं है।
चलिए तो अब आते हैं असली कहानी पर!
फरवरी में मैं अपने बॉस के साथ आफिस के काम से चीन गयी थी, वहाँ की किसी कंपनी के साथ बिज़नेस की बात होनी थी।
खैर हम दोनों चीन पहुँचे, वहाँ हमने एक आलीशान होटल में रूम बुक किया हुआ था। तो जाते ही हम दोनों सो गए। शाम को हम दोनों उठे तो चुदाई का एक राउंड कर लिया तो शरीर एकदम फ्रेश हो गया।
फिर हम लोग बीजिंग घूमने निकल गए क्योंकि मीटिंग अगले दिन सुबह को थी।
ये पहला मौका था जब मैं चीन आयी थी तो मैं बहुत ज्यादा उत्साहित थी।
हम पूरा दिन चीन घूमते रहे, रात को वापस होटल में आकर डिनर करके फिर से चुदाई का सीन बन गया और अनुज (मेरा बॉस) ने मुझे स्टडी टेबल पर नंगी करके चोदना शुरू कर दिया। पूरी रात हमने 3 बार चुदाई की।
अगलू सुबह हम दोनों तैयार होकर मीटिंग के लिए निकल गए। वहाँ जाकर देखा तो वो एक बहुत बड़ा ऑफिस था। अंदर जाकर हमारी उस कंपनी के बॉस के साथ मीटिंग शुरू हो गयी, वहाँ अनुज और मैं और उस कंपनी का बॉस योंग और उसके सेक्टरी थी।
मीटिंग मैं ऐसा कुछ खास नहीं हुआ तो अब आगे बढ़ते हैं।
हां, मीटिंग में मैंने नोटिस किया कि योंग बार बार मेरी जांघों को घूर रहा था लेकिन मैं नार्मल ही रही।
खैर मीटिंग के बाद हम चारों ने साथ में लंच किया।
लंच के वक़्त योंग मेरे पास बैठा था और बीच बीच में वो मेरी जांघों को सहला रहा था. अनुज ने ये सब देख लिया था तो वो मुझे आंख मार कर योंग का साथ देने का इशारा कर रहा था।
मैंने भी आंख मार कर अपनी सहमति व्यक्त कर दी और योंग का साथ देने लगी।
यह मेरे लिए पहला मौका था जब मैं किसी चाइनीज़ पुरुष के साथ ये सब करने वाली थी। बहुत देर तक वो मेरी जांघ सहलाता रहा, फिर उसने अचानक सबके सामने मेरे बूब्स पकड़ लिए. उसके इस हमले से हम सब चौंक गए तो वो अनुज से बोला कि वो मेरे साथ सेक्स करना चाहता है।
अनुज कुछ नहीं बोला तो उसने अपनी सेक्टरी को अनुज के पास जाने का इशारा किया। उसके सेक्टरी जाकर अनुज की गोद में बैठ गयी और उसे किस करने लगी.
इधर योंग मेरे होंठ चूस रहा था और बूब्स के रगड़ रगड़ का दबा रहा था।
कुछ ही देर में योंग ने सबके सामने मेरी शर्ट खोल दी और मेरी ब्रा भी फाड़ दी और वो मुझे उठा कर बिस्तर पर ले गया. उधर अनुज और योंग की सेक्टरी दूसरे रूम में चले गए।
बिस्तर पर आते ही योंग ने मेरी स्कर्ट और पैंटी दोनों उतार कर मुझे नंगी कर दिया, अब मैं जोश में आ चुकी थी तो मैंने भी उसके कपड़े उतार कर उसे नंगा कर दिया.
उसका लन्ड देखकर मेरी हल्की सी हँसी निकल गयी. उसका लन्ड मुरझाया हुआ 2 इंच का था। योंग मेरी नंगी जवानी देख कर गर्म होने लगा, फिर मैंने उसका लन्ड सहलाना शुरू कर दिया तो उसके लन्ड में हल्का सा कड़कपन आने लगा।
फिर योंग ने उसका लन्ड मेरे मुंह मे डाल दिया तो मैंने उसका लंड बाहर निकाल दिया और चूसने से मना कर दिया। फिर उसके बार बार कहने पर मैंने थोड़ी देर उसका लन्ड चूसा।
तो उसका लन्ड 4 इंच लंबा हो पाया, कहीं न कहीं मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था, मैंने सोचा कि इतने से लन्ड से मेरी इंडियन चुत का क्या होगा. मगर मैंने अपना मन मार कर सेक्स करने की सोची।
फिर उसने मुझे बिस्तर पर लेटकर मेरी चूत चाटनी शुरू कर दी। मुझे उसके चूत चाटने के तरीके में मज़ा आ गया, वो मेरी चूत को जोर जोर से काट रहा था।
इससे मुझे हल्का सा दर्द भी हो रहा था और दर्द के साथ मज़ा भी आ रहा था।
फिर वो 69 में आ गया, अब मैं उसके ऊपर थी और उसका 4 इंच का छोटा सा लन्ड चूस रही थी और वो मेरी इंडियन चूत और गांड का छेद चाट रहा था।
थोड़ी देर बाद वो उठा और उसने एक गोली खा ली. मैं समझ गयी कि वो वियाग्रा की गोली थी.
फिर उसने अपने लन्ड पर कंडोम चढ़ा लिया और मुझे बिस्तर पर उल्टा लिटा दिया और खुद बिस्तर से उतर गया, फिर उसने मेरी टांग पकड़ कर पीछे खींचा और जोर से मेरी गांड पर थप्पड़ मारा, मैं एआईई ईई करके हल्का सा चीखी।
फिर उसने एक झटके में पूरा लन्ड मेरी चूत में डाल दिया, मुझे जरा सा भी दर्द नहीं हुआ मगर उसे दिखाने के लिए मैं चीख पड़ी, मुझे चीखते हुए देख कर वो बहुत खुश हुआ और फिर जोर जोर से मुझे चोदने लगा।
उसने पोज़ बदल बदल कर मेरी 35-40 मिनट तक चूत की चुदाई की फिर वो ‘आहहह हहह अहह हह हहह…’ करता हुआ झड़ गया।
हालांकि इतनी लंबी चुदाई से मैं भी एक बार झड़ गयी थी। फिर वो मेरे ऊपर ही लेट कर सो गया, उधर दूसरे कमरे में योंग की सेक्टरी के रोने की आवाज आ रही थी.
मैं जब उनके कमरे में गयी तो वहाँ उसकी सेक्टरी एक कोने में बैठकर रो रही थी और अनुज उसे मनाने की कोशिश कर रहा था.
मैंने सेक्टरी को उठाया तो देखा उसकी चूत बहुत छोटी सी थी, और उसकी चूत से हल्का सा खून भी निकल रहा था.
फिर अनुज बोला- यार ये तो साली चूत नहीं दे रही और मेरा लन्ड खड़ा हो रहा है.
मैंने अनुज से बोला- मेरी भी चूत में आग लगी हुई है, उस योंग का तो बच्चों जितना बड़ा था।
फिर अनुज ने मुझे सेक्टरी के सामने ही बाहों में ले लिया और मेरे बूब्स दबाने लगा, फिर मैंने सेक्टरी को अपने पास बुलाया तो वो बेचारी डरते हुए मेरे पास आई तो मैंने उसे किस करना शुरू कर दिया और अनुज को बोला कि इसकी चूत चाट!
अनुज ने उसकी बालों से भरी हुई चूत चाटनी शुरू कर दी।
थोड़ी देर में वो ‘आहा हाःहः हा…’ करने लगी तो हम दोनों समझ गए कि ये गर्म हो गयी है.
फिर मैंने उसे नीचे लिटाया और अपनी चूत उसके मुंह पर रख दी और अनुज को इशारा किया कि अब इसकी चुदाई शुरू कर दे.
अनुज ने उसकी टांग उठाई और धीरे धीरे लन्ड चूत में डालना शुरू कर दिया, सेक्टरी को दर्द होने लगा मगर अनुज धीरे धीरे लन्ड डाल रहा था.
अचानक अनुज ने पूरा लन्ड एक साथ उसकी चूत में डाल दिया तो वो बेचारी बहुत जोर से चीखने की कोशिश करने लगी मगर मैंने उसका मुंह अपनी चूत से बन्द किया हुआ था तो उसने मेरी चूत में बहुत जोर से काट लिया जिस वजह से मेरी भी बहुत जोर से चीख निकल गयी।
मैं उसके मुंह से हट गई, फिर मैंने उसे किस करना शुरू कर दिया और अनुज ने उसकी चुदाई जारी रखी।
फिर मैं उसके ऊपर लेट कर उसे किस करने लगी जिस कारण मेरी गांड अनुज की तरफ हो गयी. अब अनुज कभी मेरी गांड में लन्ड डाल रहा था तो कभी सेक्टरी की चूत में।
15 मिनट बाद वो सेक्टरी की चूत में झड़ गया और उसके ऊपर लेट गया।
वो दोनों सो गए।
शाम को हम सबने साथ में एक राउंड चुदाई का किया, चारों ने पार्टनर बदल बदल कर चुदाई का मज़ा लिया।
इस चुदाई के बाद हमें वो डील भी मिल गयी और एक अलग तरह का मज़ा भी मिल गया।
हम लोग वहाँ 5 दिन रहे, इस बीच बहुत बार सेक्स हुआ।

आपा यानि बहन के साथ सुहागरात

(Aapa yani Behan Ke Sath Suhagrat)

यह मेरी दूसरी सेक्स कहानी है मेरी और मेरी चचेरी बहन की… जिसका बदला हुआ नाम रज़िया है!
उसके बारे में बता दूं कि वो रँग में तो थोड़ी साँवली है मगर उसका हुस्न ऐसा कि कोई भी उसे देखे तो उसका पानी पानी हो जाए!
उसकी उम्र 28 साल है, उसकी अभी शादी नहीं हुई है, उसका फ़िगर 34-30-36 का है, उसका फिगर मुझे सही से इसलिए पता है क्योंकि मेरी जनरल स्टोर की शॉप है और मेरी चचेरी बहन रज़िया मेरे से ही ब्रा और पैन्टी ले जाती है और वो ज्यादातर नेट वाली ही ब्रा पैन्टी पसंद करती है. माह में 2 बार वो ब्रा पैन्टी खरीदती है. पता नहीं उसे इन सबका कितना शौक है!
खैर अब मैं कहानी पर आता हू!
वो ज्यादातर सलवार सूट ऐसा पहनती है जिसमें उसके हर अंग का उभार साफ साफ दिखाई दें! देखने में मेरी बहन किसी रंडी से कम नहीं लगती है. बड़े गले का सूट पहनती है वो जिससे उसके मम्मे बाहर निकलने के लिए बेताब रहते हैं! मेरा तो दिल करता है बस अभी पकड़ के चूस जाऊँ!
मैं उसके घर जाता रहता हूँ जिस कारण मुझे उसके हुस्न के दीदार होते रहते हैं. मैं अपनी चचेरी बहन की चुदाई करना चाहता रहा था मगर कभी मौका नहीं मिला. और काफी दिन हो गए थे चाची की चूत मारे हुए भी तो कब तक मुट्ठी मार के काम चलाता यार!
वो मेरी बहन थी इसलिए ये काम थोड़ा मुश्किल था!
लेकिन अगर शिद्दत से चाहो तो हर काम आसान हो जाता है. मैं जब भी उसके घर जाता और मेरी चचेरी बहन रज़िया मेरे सामने झुक कर झाड़ू लगाती हुई मिल जाती तो मुझे तो जन्नत के दीदार हो जाते. उसके 34 साइज़ के दूध देख कर मेरा तो लंड खड़ा हो जाता और फिर घर आ कर मैं उसके नाम की मुट्ठी मारता!
ऐसा बहुत दिन तक चलता रहा, अब मैं और बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था.
मैंने एक आइडिया सोचा कि कैसे रज़िया कि जवानी का रस पिया जाए! वैसे भी उसका निकाह तय हो चुका था और दो महीने बाद उसका निकाह था. और मैं उसकी शादी से पहले ही उसके साथ सुहागरात मनाना चाहता था… एक रात के लिए उसका पतिदेव बन जाना चाहता था.
एक दिन सुबह मैं उसके घर गया तो वो मुझसे बोली- आलम, आज मैं शॉप पर शॉपिंग करने आऊँगी, कुछ सामान लेना है!
उसकी मॉम बोली- तो उसमें क्या… ले आना, वैसे भी तो लाती रहती हो!
मैंने कहाँ- हाँ हाँ आंटी, अपनी ही शॉप है, उसमें क्या कहना!
मैंने रज़िया से कहा- दोपहर के बाद आना, ठीक रहेगा!
उसने कहा- ठीक छोटे भाई!
मैंने स्माइल दी और मैं अपनी शॉप पर आकर सोचने लगा कि कैसे रज़िया को पटाया जाए! मुझे जल्दी करना होगा वर्ना उसकी शादी हो जाएगी और मेरी हसरत अधूरी रह जाएगी.
फिर दोपहर का टाईम हो गया और मैं खाना खाने घर चला गया और शॉप नौकर के सहारे छोड़ दी. फिर खाना खा कर शॉप पे आकर रज़िया के बारे में सोचने लगा और नौकर को खाना खाने भेज दिया.
और तभी मन में एक विचार आया, मैं उठा और उठ कर जो नेट वाली ब्रा का न्यू सामान आया था, चेक करने लगा, उसमें बहुत अच्छी अच्छी टाइप की नेट वाली ब्रा थी! मैंने कुछ ब्रा के डिब्बे 32 साइज़ के लिए और कुछ 34 साइज़ के लिए फिर दोनों के साइज़ वाले लेबल आपस में बदल दिये!
और बैठ कर रज़िया आपा का इन्तजार करने लगा.
अचानक से रज़िया आपा आ गयीं.
मैंने कहा- बहुत देर बाद आई हो?
उसने कहा- काम था!
मैंने कहा- अच्छा!
फिर वो बोली- थोड़ा सामान दे दो!
मैंने कहा- बताओ?
उन्होंने एक रेड कलर की लिपस्टिक, क्रीम, पाउडर वगैरा लिया, मेरे मन में आया कि लगता है प्लान फेल हो गया, वो ब्रा और पैन्टी नहीं ले जाएँगी!
इतना सोच रहा था कि रज़िया आपा बोली- जोड़ दो, टोटल कितने पैसे हुए हैं?
यह सुन कर तो मैं अन्दर ही अन्दर उदास सा हो गया. मैंने टोटल किया तो 165 रुपये बने तो उन्होंने मुझे 500 का नोट मुझे दिया.
मैं बोला- आज तो बड़े सस्ते में काम हो गया, आपका इतने दिन बाद आई हो आपी, फिर भी?
तो वो बोली- अच्छा ब्रा और पैन्टी में कुछ न्यू आया है क्या?
मैंने कहा- हाँ, बहुत अच्छी अच्छी तरह की आई हुई हैं!
वो बोली- तो दिखा दो!
मैं तो इसी इन्तजार में ही था… ‘पूरा प्लान बना के रखा है मेरी जान!’ मैं मन में सोचने लगा!
वो बोली- क्या सोच रहे हो?
मैंने कहा- कुछ भी नहीं आपा!
फ़िर मैं वही डिब्बे ब्रा के उठा लाया जो थे तो 32 साइज़ के लेकिन उन पर लेबल 34 साइज़ का लगा था!
मैं बोला- अप्पी 34 लगती है ना?
वो बोली- इतनी जल्दी भूल जाओगे तो कैसे काम चलेगा?
मैं मुस्कुरा दिया!
और वो डिब्बे उसके सामने रख दिए, वो उसमें से पसंद करने लगी.
उसने एक पिंक और एक रेड कलर की ब्रा निकाली और मुझसे बोली- इसी कलर की पैन्टी भी निकाल दो.
मैंने नेट वाली मिलती जुलती पैन्टी मिला के दे दी और फिर उसके रूपय भी ले लिए और वो फिर घर चली गयी!
मैं फिर अपने काम में व्यस्त हो गया और आहिस्ता आहिस्ता शाम हो गयी और मैं रज़िया के बारे में ही सोचता रहा!
और सुबह उठ कर उसके घर गया. मुझे यक़ीन था कि रज़िया अप्पी मुझसे ब्रा के बारे में जरूर कुछ बोलेंगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ, शायद मॉम की वजह से उसने कुछ नहीं कहा!
फिर मैं घर आया और तैयार होकर शॉप के लिए निकल गया!
शॉप पे जाके बैठा ही था कि मेरा मोबाइल फोन बजा, मैंने निकाल कर देखा तो रज़िया अप्पी का फोन था! उनका नंबर देखते ही मेरे मुखड़े पर मुस्कान आ गयी!
मैंने फोन रिसीव किया और बोला- क्या हुआ अप्पी, कैसे याद किया?
वो बोली- ये ब्रा तुमने कितने नंबर की दी थी मुझे?
मैं बोला- देखो उस पे साइज़ लिखा होगा!
उसने ब्रा शायद हाथ में ही ले रखी थी, वो बोली- लिखा तो 34 ही है! लेकिन ये मेरे नहीं आ रही है बहुत टाइट हो रही है इसका हुक भी नहीं लग रहा है!
मैंने कहा- फोन कट करो, जहाँ से माल आता है, मैं वहाँ पता करके अभी कॉल करता हूं तुम्हें… ठीक?
वो बोली- ओके!
मैंने फोन कट किया और मेरे मन में लड्डू फूटने लगे थे और अप्पी के बारे में सोच कर ही मेरा लंड खड़ा हो गया! मैंने लंड हाथ में पकड़ा और सहलाते हुए कहा- रुक जा बेटा, थोड़ा सबर तो कर, रज़िया तेरी ही है!
फिर कुछ देर बाद अप्पी को फोन करके बताया कि उन्होंने बोला है कि सही से चेक करो, थोड़ा आगे पीछे करके पहनो, सबका साइज़ सही है, जब 34″ लिखा है तो 34 ही है!
मुझे तो पता ही था कि साइज़ तो पर्फेक्ट है, ये तो मेरा किया कराया है!
तो अप्पी बोली- बहुत ट्राई किया, नहीं आ रही है सही मॉम भी घर पे नहीं है जो उनकी हेल्प ले लूँ!
मैंने कहा- मॉम कहाँ गयीं?
तो अप्पी बोली- नानी के घर!
इतना सुन कर तो मुझे बिलकुल कंट्रोल नहीं हो रहा था, दिल कर रहा था अभी घर जाकर उसे चोद दूँ जाकर!
मैंने कहा- ओके, मैं शाम को आकर देख लूंगा कि क्या कमी है!
रजिया बोली- हाँ, तुम्ही देखना आकर… पता नही कहाँ से बेकार का माल ले आए? कलर और डिजाइन इतनी अच्छी और साइज़ पता नहीं कैसा!
मैं हंस कर फोन पर ही बोला- लगता है एक रात में ही तुम मोटी हो गयी हो!
उसने ‘पागल’ कह कर फोन कट कर दिया!
अब मेरा शॉप पे बिल्कुल भी मन नहीं लग रहा था, बस मैं इस इन्तजार में था कि जल्दी से रात हो और मेरी अधूरी वासना को पूरा करने का मौका मिले!
फिर शाम हुई, आज मैंने टाईम से पहले ही शॉप क्लोज कर दी और घर की तरफ निकल पड़ा. दिल में बस एक तमन्ना थी ‘रज़िया अप्पी!’
मैं घर आकर फ्रेश हुआ और खाना खा कर मॉम को बोला- मैं फ्रेंड के घर जा रहा हूँ, पार्टी है, थोड़ा लेट आऊंगा!
क्यूंकि रज़िया अप्पी आर्मी में थे तो वो बाहर ही रहते थे और उसकी छोटी बहन मॉम के साथ नानी के घर गयी थी! तो मुझे पूरा चांस था कि आज तो रज़िया के साथ सुहागरात मनेगी जरूर!
मैंने अप्पी के दरवाजे पर जाकर बेल बजाई तो आवाज आई- कौन?
मैंने कहा- आलम!
वो बोली- आती हूं!
उसने आकर दरवाज़ा खोला, वो रेड कलर का टाइट सूट पहने थी, देख कर मेरे मुँह में पानी आ गया और मैं अंदर आ गया.
मैं बोला- हाँ तो बताओ आपी, तुम्हारी क्या प्रॉब्लम है?
वो बोली- हाँ रुको, लाती हूँ!
रजिया ने अंदर से दोनों ब्रा के डिब्बे लाकर मेरे हाथ में दे दिए.
मैंने खोलकर देखा तो बोला- देखो लिखा तो 34″ ही है, लो सही से चेक करो जाकर!
वो बोली- कर चुकी हूँ! नहीं आ रही है.
मैंने कहा- करो तो?
वो बोली- ओके लाओ… क्या तुम्हारे सामने ही चेक करूँ!
मैंने दोनों ब्रा उसे दे दी उसे और वो अन्दर रूम में लेकर चली गई और कुछ देर बाद बाहर आई मैंने गौर से देखा तो शर्ट से उसके बूब्स साफ दिख रहे थे. यह नज़ारा देख कर तो मेरे अंदर करंट दौड़ गया!
शायद जल्दी में वो अपनी ब्रा पहनना भूल गयी थी!
बाहर आते ही मेरे हाथ में ब्रा फेंक दी और बोली- लो चेक कर ली, नहीं आई!
मैंने कहा- रेड वाली ट्राई करो, शायद इसी का नंबर चेंज हो!
वो अंदर गयी और अंदर से ही उसने आवाज़ लगायी- देखो आके… तुम मानते भी नहीं हो!
मैं जैसे ही रूम में दाखिल हुआ, मेरी तो जान ही निकल गयी, अप्पी नीचे तो सलवार पहने थी लेकिन ऊपर ब्रा पहनने की कोशिश कर रही थी आगे से boobs पूरे छुपे थे लेकिन पीछे अपने हाथों से हुक लगाने की कोशिश कर रही थीं! लेकिन हुक लगता भी कैसे बूब्स 34 इंच के और ब्रा 32 इंच की… ब्रा उन बूब्स पर कैसे फिट आती!
मैंने उसकी पीठ के करीब आकर कहा- थोड़ा और खींचो, लग जाएगा हुक इतना सुनते ही अप्पी बोली बोल रहे हो, ख़ुद ना हेल्प कर दो!
इतना सुनना ही था कि मुझे तो जैसे आमंत्रण मिल गया हो, मैं तो इस पल का वर्षों से इन्तजार कर रहा था! वो कहते हैं ना ‘जिसे शिद्दत से चाहो तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने की कोशिश में लग जाती है.’
मैंने अपने हाथ में दोनों ब्रा के हुक लिए और थोड़ा ज़ोर लगाया मगर हुक नहीं लग पाया लेकिन मेरे हाथों के स्पर्श से अप्पी थोड़ा बहकने लगीं!
मेरा हाथ हुक खींचने के कारण मेरी उंगलियाँ उनकी नंगी पीठ में चुभ रहीं थीं!
वो बोली- बस देख लिया कितनी छोटी ब्रा दे दी!
बोली- इतनी अच्छी डिज़ाइन है, मुझे पसंद भी बहुत आई लेकिन पता नहीं कैसा साइज़ है!
मैंने कहा- आ जाएगी ब्रा लेकिन तुम कुछ कहना ना!
बोली- कैसे? लगाओ हुक, हम भी तो देखें!
इतना सुना ही था, मैंने एक हाथ में मेरे ब्रा का हुक था और दूसरा हाथ मेरा अप्पी के बूब्स पे पहुंच गया और बूब्स ज़ोर से दबा दिए मैंने!
वो बोली- क्या भाई, ये क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- अपने ग्राहक की प्रॉब्लम सॉल्व!
मैंने पूरी तरह से उसे अपनी बांहों में जकड़ लिया.
पहले तो अप्पी बोली- छोड़ो मुझे, कोई आ जाएगा, और मैं तुम्हारी बहन हूँ.
मैंने कहा- हाँ… लेकिन आज तुम मेरी वाइफ बनोगी!
थोड़ी देर तो उसने मेरा विरोध किया लेकिन वो भी शायद बहुत प्यासी थी, 28 की उम्र तक उसे लंड का स्वाद चखने को नहीं मिला! अब वो गरम हो गयी और उसने सारे शरीर का भार मेरे शरीर पर छोड़ दिया! मैंने ब्रा छोड़ दी और अब मेरे दोनों हाथ उसके बूब्स को मसल रहे थे और ब्रा सरक कर नीचे गिर गई.
अब मेरा लंड पूरी तरह से टाइट हो चुका था जो सलवार के ऊपर से ही अप्पी की गांड में घुसना चाह रहा था. मेरा एक हाथ अप्पी की सलवार का नाड़ा खोलने की योजना बना रहा था!
मैंने झट से उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया जिससे उसकी सलवार सरक कर नीचे गिर गई, अब वो सिर्फ पैन्टी में थी, मैंने रज़िया अप्पी को अपनी तरफ मुखड़ा करके घुमा लिया और अपना हाथ पैन्टी में डालना चाहा तो अप्पी के हाथ ने मेरा हाथ पकड़ कर रोक लिया. मैंने अपने होंठ अप्पी के होंठों से मिला दिए और उनका रस पीने लगा जिस से उसके हाथ की पकड़ ढीली होने लगी और वो पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी!
मेरा हाथ तुरंत मेरी बहन की पैन्टी में प्रवेश कर गया, वहां तो पहले से ही सैलाब आया था, उसकी चूत पूरी तरह से भीग चुकी थी और अब तो बस वो चुदने को बिल्कुल तैयार थी! मैंने जैसे ही चूत पे हाथ रखा… क्या बताऊँ यारो, वो फूली हुई गुजिया जैसी चूत थी जिसे मैंने कस कर रगड़ा.
अब उसकी आवाज़ बदल चुकी थी और उउई उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह उउई जैसी आवाज़ निकलने लगी थी!
अब मैं सुहागरात मनाने के लिए बिल्कुल तैयार था, मैं उसे उठा कर उसकी मॉम के बेड पे ले गया जहां वर्षों पहले उसकी माँ ने सुहागरात मनाई होगी!
मैंने उसे बेड पर फेंका. वो बोली- प्यार से भाई!
मैं पूरा कट्टर मर्द की तरह उस पर टूट पड़ा और उसकी पैन्टी को फाड़ के फेंक दिया.
अप्पी बोली- मेरी न्यू वाली पैन्टी तुमने फाड़ दी!
मैंने कहा- जानेमन आज से तू मेरी वाइफ है, मैं तुझे अच्छी अच्छी पैन्टी ला के दूँगा, अपनी तो शॉप ही है!
फ़िर मैं अपनी बहन की चूत को चाटने लगा जिसमें से अमृत बह रहा था, मैं उस अमृत को पीए जा रहा था! फिर मैंने अप्पी को अपनी तरफ खींचा और उसके मुंह में अपना लंड देकर उसे बोला- चूस मेरी रंडी… बहुत दिन तड़पया तुमने!
और मेरा 7 इंच का मोटा लंड वो मुँह में ‘ऊउन हूंन…’ करके चूसे जा रही थी और मैं उसके बूब्स से खेल रहा था.
फिर मैंने उसे लिटाया और उसकी चूत पर लंड का टोपा रखा और जोर लगाया, वो पूरी तरह से कुँवारी थी तो उसे थोड़ा दर्द हुआ.
वो बोली- बेबी आराम से… आज रात मैं तुम्हारी ही हूँ!
मैंने ज़ोर का धक्का मारा और आधा लंड अंदर हो गया, अप्पी की तो चीख ही निकल गयी! फिर मैं धीरे धीरे अंदर बाहर करता रहा. जब उसकी चूत खुलने लगी तो मैं ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा और अप्पी का भी अब दर्द जा चुका था और उसे भी मज़ा आने लगा था!
अब वो मुझे सइयां कह कर बुला रही थी- चोदो मेरे सइयां… आज शादी से पहले मेरी सुहागरात है!
और कुछ देर चोदने के बाद वो झड़ गयी और मैं भी झड़ने वाला था तो मैंने अपना पूरा वीर्य अपनी बहन की चूत में ही छोड़ दिया!
मैं उसी के पास लेटा रहा. और कुछ देर बाद टाईम देखा तो 1 बज चुका था! मैं उठा और अपने कपड़े पहनने के बाद अप्पी से बोला- कैसी रही तुम्हारी सुहागरात की ट्रेनिंग?
बोली- ट्रेनिंग नहीं, रियल सुहागरात थी!